अब, जब की रामदेव के सहयोगी भी कश्मीर मुद्दे पर उसे पृथक करने के विचार रखते हुए "पकडे गए हैं" ,जिसके लिए कुछ लोगों ने प्रशांत भूषण जी से हाथापाई भी करी थी --तब जनता जनार्दन को एक विस्तृत सत्य को समझने का समय आ चुका है।
वह विस्तृत सत्य यह है की यदि आप कश्मीर के रहने वाले नहीं हैं और आपका कश्मीर से कोई व्यक्तिगत सम्बन्ध नहीं और रिश्ते-नातेदार नहीं है , यदि इसके बावजूद आप कश्मीर को भारत से पृथक कर देने के विचार मात्र को मस्तिष्क में स्थान दे सकने में असमर्थ हैं-- तब आप किसी मानसिक द्वेष, घृणा से ग्रस्त है -आप मानसिक रोगी हैं जो कि निष्पक्ष न्याय कर सकने में असमर्थ है, और आपको मनोचिकित्सा की आवश्यकता है।
निष्पक्षता न्याय करने के प्रथम सूत्रों में है। और निष्पक्षता में निर्मोह आवश्यक है-बिना किसी बात अथवा फल के मोह से लिया गया निर्णय। यह भागवद गीता का ज्ञान है-यह धर्म है। यदि पृथक होने का मोह आप में अब भी है ,तब आपमें निर्मोह नहीं है--आप न्याय नहीं कर रहे हैं।
प्रशांत भूषण ने मात्र इतना ही कहा था कि कश्मीर से सम्बंधित कोई भी निर्णय(अथवा न्याय)करने में पहले कश्मीरियों की राय लेना आवश्यक है। यह विचार पूरी तरह धर्म संगत है। किसी दूसरे व्यक्ति के घर से सम्बंधित कोई भी निर्णय लेने से पूर्व उस व्यक्ति की आशाएं और चाहत जानना सर्वोपरि है। अनयथा किसी को भी उसके घर से संम्बंधित न्याय करने का मौलिक अधिकार नहीं है। यही विचार उभर कर सयुंक्त राष्ट्र का कश्मीर से सम्बंधित सन1947 की प्रतिज्ञा(resolution) है। जनमत या फिर मतदान -कुछ तो करना होगा।
दिककत यह है कि विवाद में यदि एक पक्ष निर्मॊह को अपनाता भी है तो क्या दूसरा पक्ष निर्मोह स्वीकारने के लिए तैयार होगा? यानी की इससे सम्बंधित साम्प्रदायिक और राजनैतिक हालात कश्मीरी प्रशन की आगे की दुविधाएं हैं। मगर सबसे प्रथम न्याय यही रहेगा कि कश्मीरियों की राय लेना अत्याग्य होगा।
प्रशांत भूषण के विचार मूलभूत गलत नहीं हैं।
An ocean of thoughts,earlier this blog was named as "Indian Sociology..my burst and commentary". This is because it was meant to express myself on some general observations clicking my mind about my milieu...the Indian milieu. Subsequently a realisation dawned on that it was surging more as some breaking magma within . Arguments gave the heat to this molten hot matter which is otherwise there in each of us. Hence the renaming.
कश्मीर मुद्दे पर एक बहमूल्य विचार-प्रभावित व्यक्तियों की राय परम आवश्यक न्याय है।
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