An ocean of thoughts,earlier this blog was named as "Indian Sociology..my burst and commentary". This is because it was meant to express myself on some general observations clicking my mind about my milieu...the Indian milieu. Subsequently a realisation dawned on that it was surging more as some breaking magma within . Arguments gave the heat to this molten hot matter which is otherwise there in each of us. Hence the renaming.
संसद भवन में कानून को पारित करने का उद्देश्य क्या होता है
क्यों गुप्त पड़ा हुआ है भारतीय समाज के भीतर में बसा हुआ ब्राह्मण विरोध? कहाँ से आया और क्यों ये अभी तक अगोचर है?
स्कूली पाठ्यक्रमो के रचियता इतिहासकारों ने यहाँ अच्छा कार्य नही किया मौज़ूदा पीढ़ी के प्रति, जब उन्होंने किताबों में राजनैतिक इतिहास को अधिक गौड़ बना कर प्रस्तावित कर दिया है। धार्मिक और सांस्कृतिक इतिहास को दर्ज़ नही किया, खास तौर पर वो अंश जो की समाज में चले आ रहे ब्राह्मण बनाम अन्य समूहों के संघर्ष को दर्शाता है। मौर्य शासकों का अंत कैसे हुआ, भुमिहार कहाँ से आये, पुष्यमित्र शुंग कौन थे, उनका शासन कैसा था, भारत की अखंडता के संग क्या किया, बौद्धों के संग शुंग भूमिहारों ने क्या बर्ताव किया, जैन चार्वाक संस्कृति पर हमला क्यों किया ब्राह्मणों ने, क्यों चार्वाक के साहित्य को नष्ट कर दिया -- ये सब ज्ञान औसत भारत वासी को तनिक भी नही है। वहीं , अभी अगर सावरकर बनाम गाँधी , नेहरू, सुभाष , भगत सिंह पर debate करवा लो , तब संघ घराने से निकला भारतवासी ऐसे-ऐसे बिंदु और "तथ्य" का बयाना देने लगेगा मानो जैसे उसने अपनी आँखों से देखा और कानों से सुना है !
क्या भेद है अमरीकी प्रजातंत्र और ब्रिटिश प्रजातंत्र में
बौद्ध इंसान को instinctive व्यवहारों को तलाशने के लिए प्रेरित करता है
छोटे बच्चों पर नज़र रखना ज़रूरी होता है की कहीं वो खुद ही अनजाने में आपस में "गन्दी बात" या "गन्दा काम" करना न शुरू कर दें!
ऐसा क्यों?
क्योंकि वास्तव में ये सब instinctive भी सकता है , ज़रूरी नहीं कि कहीं, किसी ख़राब फ़िल्म या फोटो को देखने से ही आये।
इस नज़र से ये बात समझ आती है कि माता-पिता को अपनी बच्चों को 'गन्दे काम' से बचाने के लिए न सिर्फ ज्ञान को रोकना होता है , बल्कि रोकते समय यह भी ध्यान रखना होता है कि कहीं उनकी मनाही का तरीका ही बच्चों में "बौद्ध" नहीं जगा दे , यानि उनके instinct को जागृत कर दे, और वो curious (जिज्ञासु ) हो जाये उसके प्रति ! और यदि ऐसा हो गया तब बच्चों को लग जायेगा कि कहीं कुछ तो है जो उनके मातापिता उनसे छिपा रहे हैं, और वो नहीं चाहते है की बच्चों को उसके बारे में पता चले ! ये जिज्ञासा बच्चों को वापस उस "अनजान' 'गन्दी' चीज़ की तलाश की तरफ खुद-ब-खुद ले जाएगी, वो भी माता पिता से छिप छिप कर।
Featured Post
नौकरशाही की चारित्रिक पहचान क्या होती है?
भले ही आप उन्हें सूट ,टाई और चमकते बूटों में देख कर चंकचौध हो जाते हो, और उनकी प्रवेश परीक्षा की कठिनता के चलते आप पहले से ही उनके प्रति नत...
Other posts
-
महान चिंतक और वैज्ञानिक चार्ल्स डार्विन अपने एक मतविचार मे महिलाओं को पुरुष से निम्म होने का तर्क रखते हुए कहते हैं कि स्त्रियाँ यदि अपने gu...
-
10/05/2020 शायद अंग्रेज़ी भाष्य लोग इस लेख को कभी भी न पढ़े। मगर जो आवश्यक चितंन यहां प्रस्तुत करने की ज़रूरत है वह यह कि भारतीय समाज में कुछ ...